झारखंड में आदिवासी समाज के लोग जातीय जनगणना के लिए सरना कोड की कर रहे मांग

झारखंड : झारखंड में केंद्र सरकार ने एक बार फिर से जातीय जनगणना कराने का फैसला किया है जिसमें बताया जा रहा है कि केंद्र सरकार के इस फैसले से झारखंड में राजनीतिक शुरू हो गया है परंतु यह एक महत्वपूर्ण पहलू है कि यह जनगणना सरना कोड के बिना ही कराई जाएगी जिसको लेकर करके झारखंड में JMM ने बिना सरना कोड के जातिगत जनगणना नहीं होने देने की मांग की है क्योंकि झारखंड में आदिवासी समाज के लोग के लंबे समय से चली आ रही मांग को लेकर करके झारखंड में आदिवासी समाज जनगणना में धार्मिक पहचान को एक अलग कोड देने की लंबे समय से मांग कर रहे हैं राज्य के भू संसाधन विभाग ने अगले सप्ताह तक इसके लिए अधिसूचना जारी करेगा क्योंकि 1931 के बाद पहला मौका है कि जब राज्य में जातीय जनगणना होगा इस फैसले का पीछे का कारण यह है कि सरकार बिना किसी धार्मिक विवाद के पूरा करना चाहती है।

जातीय जनगणना का विरोध

राज्य सरकार ने सरना कोड को लेकर यह फैसला इसलिए लिया क्योंकि राज्य में बहुत सारे आदिवासी समाज के लोग रहते हैं जो सरना धर्म को मानते हैं और राज्य में सरना कोड को मांग कर रहे हैं और आदिवासी समाज के लोग इसको अलग धर्म के रूप में मान्यता देते हैं राज्य सरकार चाहती हैं कि राज्य में बिना किसी रुकावट के जल्द जनगणना शुरू करना चाहते है।

सरना कोड क्या होता है

जनगणना रजिस्टर धर्म वाले के लिए अलग-अलग धर्म के अलग अलग कोड होता है जैसे मुस्लिम धर्म के लिए 2, हिंदू धर्म के लिए 1,ईसाई धर्म के लिए 3, इसी तरह आदिवासी समाज सरना कोड को अलग कोड की मांग कर रहे हैं अगर केंद्र सरकार बात मान लेती है तो सरना धर्म को एक अलग कोड मिल जाएगा भू राजस्व विभाग के अधिसूचना जारी होने के बाद जनगणना लागू हो जाएगा।

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