फ़ास्टैग धोखाधड़ी: साइबर ठगों से अपने पैसे और जानकारी को कैसे बचाएं

हाईवे पर कई ऐसे कैशलेस टोल कलेक्शन की भी सुविधा देने वाला FASTag अब आम जीवन में हमसफ़र करने में भी सफर का अहम हिस्सा बन चुका है। गाड़ी रोके बिना ही टोल देने की यह सुविधा जितनी सुविधाजनक है, उतनी ही यह दिन प्रतिदिन खतरनाक भी साबित होता जा रहा है। साइबर ठगों ने अब ठगी का इसे नया हथियार बना लिया है। फिशिंग लिंक, से फर्जी कस्टमर केयर और RFID क्लोनिंग जैसे कई ऐसे तरीकों से लोग बिना जाने-पहचाने ही जाल में फंस रहे हैं। इससे कई वाहन मालिक हैं जो बिना गलती किए भी अपना पैसा गंवा दे रहे हैं।

इसलिए हमें ‘साइबर लिटरेसी’ के कॉलम में हम बात करेंगे कि फास्टैग स्कैम क्या है?इनसे बचने के आसान उपाय क्या हो सकते हैं?एक्सपर्ट: राहुल मिश्रा, ने साइबर सिक्योरिटी एडवाइजर, उत्तर प्रदेश पुलिस के द्वारा

फास्टैग स्कैम क्या होता है?

इस स्कैम में आपसे फास्टैग से जुड़ी कई जानकारी या पैसे हड़प लेते हैं। इसके लिए वे फर्जी कॉल, या SMS, वेबसाइट या QR कोड का भी इस्तेमाल करते हैं। अगर आप भी इनके झांसे में आकर अपनी डिटेल शेयर कर देते हैं तो आप ठगी का शिकार हो जाते हैं आपका बैलेंस खाली कर सकते हैं या इसका गलत इस्तेमाल भी कर सकते हैं।

फास्टैग से जुड़े कई साइबर फ्रॉड है जो कई तरह के होते हैं। ठग हमेशा नए नए तरीके अपनाते रहते हैं, लेकिन कुछ धोखाधड़ियां भी सबसे ज्यादा देखने को मिलती हैं। इन्हें समझ लेना ही जरूरी है, ताकि आप खुद को सुरक्षित अपने आप को सुरक्षित रख सकें।

फिशिंग SMS या ईमेल का उपयोग करके

यूजर के पास एक आम SMS आता है, जिसमें लिखा होता है कि आपका फास्टैग को ब्लॉक कर दिया गया है या एक्सपायर हो गया है। मैसेज में एक लिंक भी अटैच होता है, जिस पर आप क्लिक करते ही आप फर्जी वेबसाइट पर पहुंच जाते हैं, जहां से आपकी पर्सनल और बैंकिंग जानकारी भी चोरी हो सकती है।

फेक कस्टमर सपोर्ट करना

गूगल या फेसबुक पर कई नकली हेल्पलाइन नंबर से सर्च रिजल्ट में भी दिखते हैं। आपको इनपर पर कॉल करते हैं और सामने वाला आदमी आपको QR कोड स्कैन करवाकर पैसा ठग लेता है।

फर्जी फास्टैग बिक्री से

वॉट्सएप पर आपको कई कम रेट में फास्टैग देने का भी वादा किया करते है, लेकिन जब आप खरीदते हैं तो वह काम ही नहीं करता है या पहले से एक्टिवेटेड होता है।

फास्टैग स्कैम की पहचान आप कैसे कर सकते हैं?

आमतौर पर फास्टैग स्कैमर्स जल्दबाजी में ही आपको निर्णय लेने पर मजबूर करते रहते हैं। जैसे ‘आपका फास्टैग एक्सपायर हो चुका है’ या ‘आज ही अपडेट करें वरना आपका फास्ट्रैक ब्लॉक हो जाएगा।’ ऐसे मामलों से आपको सतर्क रहना बहुत ही जरूरी है।अगर कोई भी आपको SMS, कॉल या लिंक आपको UPI पिन, QR कोड स्कैन करने या फेक वेबसाइट पर जाने को कहे तो आपके साथ स्कैम हो सकता है। जो कुछ जरूरी संकेतों को पहचानकर आप खुद को भी बचा सकते हैं।

फास्टैग स्कैम से बचने के लिए आपको किन किन बातों का ध्यान रखें?

फास्टैग स्कैम से बचने के सबसे बड़ा तरीका यह है सतर्क रहना। थोड़ी-सी सावधानी आपके पैसे और आपकी जानकारी को भी सुरक्षित रख सकती है। अगर आप कुछ भी आसान नियमों का पालन करेंगे तो साइबर ठगों के जाल में फंसने से भी बच सकते हैं।

फास्टैग से जुड़ी जानकारी लीक होना भी खतरा है?

अगर किसी के पास भी आपके फास्टैग की ID, या गाड़ी का नंबर या उससे जुड़ा मोबाइल नंबर की जानकारी और गाड़ी का RC नंबर है तो वो उसका दुरुपयोग कर सकता है। इससे फर्जी रिचार्ज, या क्लोनिंग या डुप्लीकेट फास्टैग एक्टिवेशन जैसी घटनाओं का सामना करना पड़ सकता हैं। इसलिए आपको अपनी फास्टैग से जुड़ी सभी जानकारी किसी से शेयर न करें और न ही SMS अलर्ट ऑन रखें।

अगर आप फास्टैग स्कैम का शिकार होने पर सबसे पहले आपको अपने बैंक या पेमेंट ऐप को कॉल करके ट्रांजैक्शन ब्लॉक करवा दें और पासवर्ड या UPI पिन को भी बदल दें। इसके अलावा भी साइबर हेल्पलाइन 1930 पर कॉल करें या cybercrime.gov.in पर ऑनलाइन शिकायत भी दर्ज करें। ये भारत सरकार की आधिकारिक साइबर रिपोर्टिंग साइट है। जो यहां से आपकी शिकायत सही सिस्टम तक पहुंचेगी। अगर स्कैम किसी भी फर्जी SMS, कॉल या वेबसाइट के जरिए हुआ है तो उसकी तुंरत डिटेल sancharsaathi.gov.in पर भी रिपोर्ट करें। यहां आप फर्जी नंबर, मैसेज और लिंक का सबूत भी दे सकते हैं। जितनी जल्दी हो आप रिपोर्ट करेंगे, पैसा रिकवर होने और स्कैमर तक पहुंचने की संभावना भी उतनी ही अधिक बढ़ जाएगी।क बैंक या कंपनी का फास्टैग सुरक्षित होता है?अगर आप बैंक और कंपनी की सुरक्षा अलग-अलग तरह से होती है। आमतौर पर सरकारी बैंक में और ऑथराइज्ड एप से ही लिया गया फास्टैग ज्यादा सुरक्षित और सही होता है, क्योंकि उनका कस्टमर केयर भरोसेमंद और सही डेटा सुरक्षा बेहतर बना होती है। इसलिए किसी अनजान वेबसाइट या एप से फास्टैग हमे नहीं खरीदना चाहिए।

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