झारखंड और तमिलनाडु शिक्षक पात्रता परीक्षा (TET) विवाद: पुराने शिक्षकों को राहत की मांग 2025

झारखंड राज्य मैं राज्य सरकार शिक्षक पात्रता को लेकर के परीक्षा के लिए बड़ा फैसला लिया है जिसमें इस फसलों के दौरान सुप्रीम कोर्ट में हाल ही में इस फैसले पर विचार और याचिका दायर किया है जिसके दौरान 1 सितंबर 2025 को आए उसे आदेश पर सवाल उठाया गया है जिसमें अदालत का मानना है कि ऐसे विसर्जन की सेवाएं 5 साल या उससे ज्यादा बची हुई है लेकिन बोल 2 साल के अंदर शिक्षक पर क्या परीक्षा को पास करना अनिवार्य होगा परंतु राज्य सरकार ने इस फैसले का पुनर विचार करते हुए याचिका दायर किया है जिससे शिक्षक को राहत मिलेगी।

पुराने शिक्षकों के ऊपर आदेश लागू

झारखंड सरकार का मामला है कि सुप्रीम कोर्ट में इस फसलों को काफी गलत तरीके से अध्यापकों पर लागू किया है जिन्होंने 2010 से पहले नियुक्ति की थी सरकार का मानना है कि इस फसलों पर पुनर विचार करते हुए सरकार में दलित देते हुए कहा कि आरटीआई अधिनियम के धार 231 केवल आने वाले समय केले ही नियुक्ति से जुड़ी रहेगी जिससे धारा तो शिक्षित अध्यापकों की कमी होने के कारण सरकार को अस्थाई छूट देने का एक आधिकारिक उधर उजागर करती है और इसी फैसले को लेकर क्या नियम उन पर लागू होना चाहिए जिन्हें छत की अवधि से नियुक्त किया गया है और उन पर जो पहले वह रूप से नियुक्ति हो चुके हैं।

शिक्षा व्यवस्था पड़ेगा असर

जिसमें तमिलनाडु राज्य में वर्तमान समय के अंदर कल चरण 49850 सरकारी अध्यापक काम हो चुका है दिन में से 390458 शिक्षक TET के लिए योग हैं अब उनकी सेवाएं खत्म कर दीजिए इससे लाखों बच्चों की पढ़ाई प्रभावित होगी और उनको भारी समस्या का सामना करना पड़ेगा जिससे तमिलनाडु सरकार का मानना है कि आने के शिक्षा का अधिकार का उल्लंघन होगा बल्कि इस फैसले से पूरे राज्य की शिक्षा व्यवस्था पर असर पड़ेगा और पूरी शिक्षा व्यवस्था चौपट हो जाएगी।

याचिका के दौरान क्या बोला गया

जिसके के दौरान तमिलनाडु राज्य का तैयार किया था उसके बाद शिक्षा व्यवस्था की वीरता को बनाए रखने के लिए और समय के साथ बढ़ाने के लिए पुराने शिक्षकों पर पेट की शर्त लागू करना होगा जिससे काफी बेकार काम होगा क्या स्पष्ट रूप से अनुपात इन राज्य के सुझाव दिया गया है जिससे किया कम बजाज इन सर्विस सेटिंग ट्रेंनिंग प्रोग्राम्स रिसर्च विकल्प इस्तेमाल किया जाएगा जिससे शिक्षकों की आजीविका को भी सुरक्षित रखा जाएगा किसी के साथ-साथ बच्चों की पढ़ाई पढ़ाई पर कोई असर न पड़े।

सुप्रीम कोर्ट के सामने रखा मांग

जिसके द्वारा राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के सामने अपने प्रस्ताव करते हुए सरकार से यह मांग की है कि 5 साल की डेट अनिवार्यता या न केवल उन शिक्षकों पर लागू होनी चाहिए जिन्होंने 1 अप्रैल 2000 बाद नियुक्ति ली है।

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