झारखंड, जिसे ‘खनिजों का प्रदेश’ भी कहा जाता है, अपनी समृद्ध प्राकृतिक संपदा के लिए प्रसिद्ध है। राज्य के गठन के बाद से इसने आर्थिक विकास की दिशा में कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं, और इसकी सकल राज्य घरेलू उत्पाद (GSDP) लगातार बढ़ रही है। आइए, झारखंड की GDP के विभिन्न पहलुओं पर एक नज़र डालते हैं।
झारखंड की GDP: एक सिंहावलोकन
हाल के आर्थिक सर्वेक्षणों के अनुसार, झारखंड की अर्थव्यवस्था में पिछले कुछ वर्षों से लगातार वृद्धि देखी गई है। वित्तीय वर्ष 2023-24 में, झारखंड की GSDP (मौजूदा कीमतों पर) लगभग ₹4,61,010 करोड़ होने का अनुमान है। सरकार का लक्ष्य 2029-30 तक इसे ₹10 लाख करोड़ (₹10 ट्रिलियन) की अर्थव्यवस्था बनाना है, जिसके लिए इसे सालाना 14.2% की दर से वृद्धि करने की आवश्यकता होगी।

विकास दर: राष्ट्रीय औसत से बेहतर प्रदर्शन
कोविड-19 महामारी के बाद के वर्षों में, झारखंड की आर्थिक विकास दर ने राष्ट्रीय औसत को भी पीछे छोड़ दिया है। 2020-21 और 2023-24 के बीच, झारखंड की औसत वार्षिक विकास दर 9.1% रही, जबकि देश की औसत वार्षिक दर 8.3% थी। 2024-25 में राज्य की अर्थव्यवस्था के 6.7% और 2025-26 में 7.5% की दर से बढ़ने का अनुमान है।
प्रति व्यक्ति आय: सुधार की आवश्यकता
हालांकि राज्य की GSDP में वृद्धि हो रही है, प्रति व्यक्ति आय के मामले में झारखंड अभी भी राष्ट्रीय औसत से पीछे है। 2023-24 में, झारखंड की प्रति व्यक्ति GSDP (मौजूदा कीमतों पर) ₹1,15,960 अनुमानित है, जबकि इसी अवधि में भारत की प्रति व्यक्ति GDP ₹2,15,935 अनुमानित है। यह दर्शाता है कि राज्य को समावेशी विकास पर अधिक ध्यान देने की आवश्यकता है ताकि प्रति व्यक्ति आय में भी उल्लेखनीय वृद्धि हो सके।
प्रमुख योगदानकर्ता क्षेत्र
झारखंड की अर्थव्यवस्था में मुख्य रूप से तीन क्षेत्रों का योगदान है:
* सेवा क्षेत्र (Services): यह राज्य की अर्थव्यवस्था में सबसे बड़ा योगदानकर्ता है, जिसका अनुमानित योगदान 2023-24 में 44% रहा।
* विनिर्माण क्षेत्र (Manufacturing): यह क्षेत्र लगभग 33% का योगदान देता है और इसमें प्रमुख रूप से इस्पात, इंजीनियरिंग और अन्य उद्योगों का दबदबा है।
* कृषि क्षेत्र (Agriculture): कृषि का योगदान लगभग 23% है। हालांकि यह एक महत्वपूर्ण क्षेत्र है, लेकिन इसकी क्षमता का पूरी तरह से उपयोग नहीं हो पाया है, और सिंचाई सुविधाओं की कमी जैसी चुनौतियां मौजूद हैं।
* खनन क्षेत्र (Mining): झारखंड भारत के खनिज संसाधनों का लगभग 40% हिस्सा रखता है, जिसमें कोयला, लौह अयस्क और बॉक्साइट जैसे खनिज शामिल हैं। खनन क्षेत्र का राज्य की अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण योगदान है, हालांकि यह सीधे GSDP प्रतिशत में सेवाओं और विनिर्माण के बराबर नहीं दिखता, यह इन क्षेत्रों के लिए कच्चे माल का आधार है।

चुनौतियाँ और आगे की राह
झारखंड की आर्थिक वृद्धि के रास्ते में कुछ चुनौतियाँ भी हैं:
* बुनियादी ढाँचा (Infrastructure): खराब परिवहन नेटवर्क, ऊर्जा आपूर्ति के मुद्दे और अपर्याप्त शहरी बुनियादी ढाँचा निवेश को आकर्षित करने में बाधा डालते हैं।
* आर्थिक विविधीकरण (Economic Diversification): अर्थव्यवस्था की खनन पर अधिक निर्भरता इसे वैश्विक बाजार के उतार-चढ़ाव के प्रति संवेदनशील बनाती है। अन्य क्षेत्रों जैसे कृषि-आधारित उद्योगों, पर्यटन और आईटी में विविधीकरण आवश्यक है।
* मानव विकास संकेतक (Human Development Indicators): उच्च गरीबी और बेरोजगारी दर, निम्न मानव विकास संकेतक, और शिक्षा तथा स्वास्थ्य सेवाओं में कमी भी विकास में बाधा डालती है।
* शासन और नीति कार्यान्वयन (Governance and Policy Implementation): नौकरशाही में देरी और भ्रष्टाचार जैसे मुद्दे व्यापार-अनुकूल माहौल बनाने में चुनौती पेश करते हैं।
झारखंड एक समृद्ध और विकासशील राज्य है जिसमें अपार क्षमताएं हैं। चुनौतियों का सामना करते हुए, सरकार बुनियादी ढांचे के विकास, आर्थिक विविधीकरण और मानव पूंजी पर निवेश करके एक मजबूत और समावेशी अर्थव्यवस्था का निर्माण कर सकती है, जो राज्य को ₹10 ट्रिलियन अर्थव्यवस्था के लक्ष्य तक पहुंचने में मदद करेगा।
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