झारखंड में खनन परियोजनाओं की चुनौती: वन भूमि और क्षतिपूर्ति वानरोपण का संकट

झारखंड में खनन परियोजनाओं के विस्तार के साथ ही क्षतिपूर्ति वानरोपण एक बड़ी चुनौती बनकर उभरी है। राज्य में 27 प्रस्तावित कोयला परियोजनाओं के लिए लगभग 10,000 हेक्टेयर वन भूमि का उपयोग करना होगा। नियमों के अनुसार, कंपनियों को इसके बदले में दोगुनी यानी लगभग 20,000 हेक्टेयर भूमि पर पौधारोपण करना अनिवार्य होगा।

भूमि की कमी

राज्य सरकार को चिंता है कि यदि सरकारी भूमि इसी तरह खर्च होती रही, तो भविष्य में विकास योजनाओं के लिए जमीन की कमी हो जाएगी। झारखंड में 29% से अधिक भूमि वन क्षेत्र है, और हर नई परियोजना वन क्षेत्र को प्रभावित करती है। सीमित भूमि उपलब्धता के कारण दोगुनी भूमि पर वन रोपण करना मुश्किल हो रहा है।

वन भूमि का उपयोग और क्षतिपूर्ति वानरोपण: झारखंड सरकार की चिंता

झारखंड में विकास और वन संरक्षण के बीच संतुलन की चुनौती

झारखंड में वन भूमि और विकास योजनाओं के बीच संघर्ष: समाधान की तलाश

समाधान की तलाश

ज्य सरकार ने केंद्र सरकार से नीति में बदलाव की सिफारिश की है। अब देखना होगा कि केंद्र और राज्य मिलकर इस जटिल मुद्दे का समाधान कैसे निकालते हैं। इस मुद्दे का समाधान निकालने से न केवल पर्यावरण की रक्षा होगी, बल्कि विकास योजनाओं को भी गति मिलेगी।

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