झारखंड के रांची में सदर अस्पताल में गर्भवती महिला को एम्बुलेंस से उतार दिया गया और उसके बाद उसे 400 मीटर पैदल चलने से कोर्ट ने इस मामले पर हाइकोर्ट ने स्वास्थ्य विभाग से जवाब मांगा है कि इस मामले पर हाइकोर्ट अगस्त को फैसल सुनाई जाएगी और इस मामले को जनहित में याचिका दायर करने की निर्देश जारी कर दिया है
क्या है मामला
गुरुवार को दोपहर में बजरा नदी निवासी गर्मभवती महिला पुष्प नागा को लेकर के सदर अस्पताल एम्बुलेंस से लेकर के पहुंचे तो वहां और भी एम्बुलेंस खड़ी थी गेट के सामने उसके बाद पार्किंग मेंबर को एम्बुलेंस को रास्ता देने के लिए बोला गया तो कोई जवाब नहीं दिया एम्बुलेंस हॉर्न बजाया लेकिन रास्ता नहीं मिल उसके बाद परिवार के लोगों ने स्वास्थ्य विभाग से विल चेयर की मांग किए तो स्वास्थ्य विभाग के तरफ से कोई जवाब नहीं दिया उसके बाद परिवार के लोगों ने अपने कंधे पर उठा करके अंदर ले गए
पश्चिमी सिंहभूम: झारखंड के पश्चिमी सिंहभूम जिले के सारंडा जंगल में गुरुवार को एक बड़ा हादसा हुआ। नक्सलियों द्वारा लगाए गए इंप्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस (IED) में हुए विस्फोट से दो जवान गंभीर रूप से घायल हो गए। यह घटना उस वक्त हुई जब सुरक्षा बल सघन सर्च ऑपरेशन चला रहे थे। घायल जवानों को तुरंत हेलीकॉप्टर से एयरलिफ्ट कर रांची के मेडिका अस्पताल में भर्ती कराया गया है, जहाँ उनका इलाज जारी है। दोनों जवानों की स्थिति अभी स्थिर बताई जा रही है।
ऑपरेशन का विवरण
यह घटना चाईबासा के टोंटो थाना क्षेत्र के तुम्बाहाका और रेंगड़ाहातु गांव के बीच में हुई। झारखंड पुलिस की 197 कोबरा बटालियन, सीआरपीएफ (CRPF), और झारखंड जगुआर (STF) के जवान संयुक्त रूप से इस इलाके में एंटी-नक्सल ऑपरेशन चला रहे थे। पिछले कई दिनों से इस क्षेत्र में नक्सलियों की मौजूदगी की सूचना मिल रही थी। इसी सूचना के आधार पर सुरक्षाबलों ने जंगल के चप्पे-चप्पे को खंगालना शुरू किया। यह इलाका घने जंगलों और दुर्गम पहाड़ियों से घिरा हुआ है, जो नक्सलियों के लिए छिपने का एक सुरक्षित ठिकाना माना जाता है।
विस्फोट और घटना की कहानी
गुरुवार की सुबह सुरक्षा बल जंगल के अंदरूनी हिस्सों में आगे बढ़ रहे थे। सर्च ऑपरेशन के दौरान एक जवान का पैर गलती से नक्सलियों द्वारा छिपाए गए आईईडी पर पड़ गया। जोरदार धमाके की आवाज से पूरा इलाका गूंज उठा। धमाके की चपेट में आने से दो जवान घायल हो गए। एक जवान के पैर में और दूसरे के पेट में गंभीर चोटें आईं। धमाके की आवाज सुनते ही आसपास के जवान तुरंत मौके पर पहुंचे और घायलों को प्राथमिक उपचार दिया। इसके बाद, उन्हें सुरक्षित स्थान पर ले जाया गया।घायल जवानों की पहचान संदीप कुमार और विकास यादव के रूप में हुई है। संदीप को पैर में गंभीर चोट लगी है, जबकि विकास को पेट के निचले हिस्से में चोट आई है। घटना के बाद, पूरे इलाके में अतिरिक्त सुरक्षा बल तैनात कर दिए गए हैं और सर्च ऑपरेशन को और तेज कर दिया गया है।
एयरलिफ्ट कर रांची लाया गया
घायल जवानों की गंभीर स्थिति को देखते हुए, उन्हें तुरंत एयरलिफ्ट करने का निर्णय लिया गया। जिला मुख्यालय चाईबासा से एक हेलीकॉप्टर को मौके पर भेजा गया। घायलों को हेलीपैड तक पहुंचाया गया और वहां से उन्हें रांची के मेडिका अस्पताल ले जाया गया। अस्पताल में डॉक्टरों की एक टीम पहले से ही तैयार थी। घायलों को तुरंत आपातकालीन वार्ड में भर्ती कराया गया।मेडिका अस्पताल के एक प्रवक्ता ने बताया कि दोनों जवानों की सर्जरी की गई है और उनकी स्थिति अब खतरे से बाहर है। हालांकि, उन्हें पूरी तरह से ठीक होने में थोड़ा समय लगेगा। सुरक्षाबलों के उच्च अधिकारियों ने अस्पताल पहुंचकर जवानों का हालचाल जाना और उनके शीघ्र स्वस्थ होने की कामना की।
नक्सली गतिविधियों का गढ़: सारंडा
सारंडा जंगल झारखंड और ओडिशा की सीमा पर स्थित है और इसे नक्सलियों का गढ़ माना जाता है। यह इलाका 820 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है और घने साल के पेड़ों से आच्छादित है। नक्सलियों ने इस जंगल का उपयोग कई दशकों से अपने ठिकाने के रूप में किया है। वे यहाँ पर अपने कैंप लगाते हैं, प्रशिक्षण देते हैं, और सरकारी संस्थानों पर हमलों की योजना बनाते हैं।सुरक्षाबलों ने पिछले कुछ वर्षों में सारंडा में नक्सलियों के खिलाफ कई बड़े अभियान चलाए हैं। इन अभियानों में सुरक्षाबलों को बड़ी सफलताएं भी मिली हैं। कई बड़े नक्सली कमांडरों को या तो मार गिराया गया है या गिरफ्तार किया गया है। लेकिन, नक्सली अब भी अपनी मौजूदगी दर्ज कराने के लिए इस तरह के गुरिल्ला युद्ध की रणनीति अपनाते रहते हैं, जिसमें आईईडी का इस्तेमाल सबसे आम है।आईईडी का इस्तेमाल नक्सलियों की एक पुरानी रणनीति है, जिसमें वे सुरक्षाबलों को निशाना बनाने के लिए सड़कों, पगडंडियों और जंगलों में बम छिपाते हैं। ये बम अक्सर प्रेशर प्लेट से जुड़े होते हैं, और जैसे ही कोई उन पर कदम रखता है, धमाका हो जाता है। इस तरह के हमलों से सुरक्षाबलों को हमेशा चौकन्ना रहना पड़ता है।
उच्च स्तरीय बैठक और आगे की रणनीति
इस घटना के बाद, राज्य के डीजीपी और अन्य वरिष्ठ अधिकारियों ने एक आपातकालीन बैठक की है। बैठक में सारंडा और आसपास के इलाकों में नक्सल विरोधी अभियानों को और अधिक प्रभावी बनाने पर चर्चा की गई। यह भी तय किया गया कि सुरक्षाबलों को आईईडी का पता लगाने और उन्हें निष्क्रिय करने के लिए और अधिक आधुनिक उपकरणों से लैस किया जाएगा।मुख्यमंत्री ने इस घटना पर दुख व्यक्त किया है और घायल जवानों के शीघ्र स्वस्थ होने की कामना की है। उन्होंने कहा कि सरकार नक्सलवाद को पूरी तरह से खत्म करने के लिए प्रतिबद्ध है और इस तरह के हमलों से उनका मनोबल टूटेगा नहीं। सरकार ने घायल जवानों को हर संभव मदद देने का आश्वासन भी दिया है।
क्षेत्र में तनाव और जन-जीवन
इस घटना के बाद, आसपास के गांवों में भी तनाव का माहौल है। ग्रामीण डर के साए में जी रहे हैं। इस तरह के हमलों के कारण गांव के लोग अपने खेतों और जंगलों में जाने से डरते हैं, क्योंकि उन्हें हमेशा किसी अनहोनी का डर लगा रहता है। सुरक्षाबलों की मौजूदगी से कुछ हद तक ग्रामीणों को राहत मिलती है, लेकिन जब भी इस तरह की घटना होती है, तो उनका डर वापस लौट आता है।यह घटना एक बार फिर से यह दर्शाती है कि सारंडा और उसके आसपास के इलाकों में नक्सलवाद अभी भी एक बड़ी चुनौती बना हुआ है। सुरक्षाबल अपनी जान जोखिम में डालकर इस चुनौती का सामना कर रहे हैं। इस घटना ने एक बार फिर से इस बात पर जोर दिया है कि नक्सलवाद को पूरी तरह से खत्म करने के लिए सरकार और सुरक्षाबलों को एक साथ मिलकर और भी मजबूत रणनीति बनाने की जरूरत है।
झारखंड पुलिस को उग्रवाद विरोधी अभियान में एक बड़ी सफलता मिली है। गुमला जिले के कामडारा थाना क्षेत्र के चंगाबाड़ी ऊपरटोली जंगल में हुई मुठभेड़ में ₹15 लाख का इनामी और पीएलएफआई (पीपुल्स लिबरेशन फ्रंट ऑफ इंडिया) का शीर्ष कमांडर मार्टिन केरकेट्टा मारा गया। इस कार्रवाई को संगठन के लिए एक बड़ा झटका माना जा रहा है, क्योंकि दिनेश गोप की गिरफ्तारी के बाद मार्टिन ही संगठन की कमान संभाल रहा था।
मुठभेड़ का विवरण
गुमला के एसपी हारिस बिन जमा को गुप्त सूचना मिली थी कि पीएलएफआई के उग्रवादी इलाके में छिपे हुए हैं। सूचना के आधार पर, पुलिस की एक विशेष टीम ने फौरन इलाके की घेराबंदी शुरू कर दी। जैसे ही पुलिस टीम उग्रवादियों के करीब पहुंची, उन्होंने पुलिस पर ताबड़तोड़ फायरिंग शुरू कर दी। पुलिस ने जवाबी कार्रवाई की, जिसमें मार्टिन केरकेट्टा ढेर हो गया। पुलिस ने घटनास्थल से कई हथियार भी बरामद किए हैं। मुठभेड़ के दौरान, दो अन्य उग्रवादियों के घायल होने की खबर है, जबकि आधे से ज़्यादा उग्रवादी जंगल का फायदा उठाकर भागने में कामयाब रहे।
कौन था मार्टिन केरकेट्टा?
मार्टिन केरकेट्टा मूल रूप से कामडारा के रेड़मा गांव का रहने वाला था। वह पीएलएफआई की केंद्रीय समिति का एक सक्रिय और महत्वपूर्ण सदस्य था। संगठन के लिए लेवी वसूली, लोगों को धमकाना, और फायरिंग जैसी आपराधिक गतिविधियों की रणनीति वही बनाता था। मार्टिन और पीएलएफआई सरगना दिनेश गोप बचपन के दोस्त थे। दोनों ने लापुंग के महुगांव में एक ही स्कूल में साथ पढ़ाई की थी, और बाद में दोनों ने मिलकर पीएलएफआई संगठन का विस्तार किया। इसी वजह से संगठन के भीतर उसका कद काफी ऊंचा था। पुलिस को लंबे समय से उसकी तलाश थी।क्या आप इस घटना से संबंधित और कोई जानकारी चाहते हैं?